मिर्ज़ा ग़ालिब उर्दू के महान शायर थे जिन्होंने विश्व साहित्य में आज भी गौरव का स्थान रखा है। जीवन की लगभग सभी स्थितियों के लिए शेर बनाने वाले मिर्ज़ा ग़ालिब सबसे बेहतर शायरों में से एक थे। इस आर्टिकल में, उनके द्वारा बनाए हुए कुछ शायरी (Best Mirza Ghalib Shayari In Hindi) कलेक्ट किये हैं, आशा करते हैं की यह आप को पसंद आएंगे। चलिए पढ़ते हैं, मिर्ज़ा ग़ालिब के शायरी।
Best Mirza Ghalib Shayari in Hindi
1. आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए, साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था।
2. आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक, कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक।
3. है एक तीर जिस में दोनों छिदे पड़े हैं, वो दिन गए कि अपना दिल से जिगर जुदा था।
4. इन आबलों से पाँव के घबरा गया था मैं, जी ख़ुश हुआ है राह को पुर-ख़ार देख कर।
5. इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना, दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना।
6. इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया। वर्ना हम भी आदमी थे काम के।
7. इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब‘ कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे।
8. हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे, कहते हैं कि ‘ग़ालिब’ का है अंदाज़-ए-बयाँ और।
9. उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़, वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।
10. ऐ बुरे वक़्त ज़रा अदब से पेश आ, क्यूंकि वक़्त नहीं लगता वक़्त बदलने में।
11. कब वो सुनता है कहानी मेरी, और फिर वो भी ज़बानी मेरी।
12. क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हां, रंग लावेगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन।
Heart Touching Mirza Ghalib Shayari in Hindi
13. काबा किस मुँह से जाओगे ‘ग़ालिब’। शर्म तुम को मगर नहीं आती।
14. क़ासिद के आते आते ख़त इक और लिख रखूँ, मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में।
15. कितना ख़ौफ होता है शाम के अंधेरों में, पूछ उन परिंदों से जिनके घर नहीं होते।
16. खूबसूरत गज़ल जैसा है तेरा चाँद सा चेहरा, निगाहे शेर पढ़ती हैं तो लब इरशाद करते है।
17. चाँद मत मांग मेरे चाँद जमीं पर रहकर खुद को पहचान मेरी जान खुदी में रहकर।
18. चाहें ख़ाक में मिला भी दे किसी याद सा भुला भी दे, महकेंगे हसरतों के नक़्श हो हो कर पाए माल भी।
19. जब लगा था तीर तब इतना दर्द न हुआ ग़ालिब, ज़ख्म का एहसास तब हुआ, जब कमान देखी अपनों के हाथ में।
20. ज़िन्दगी से हम अपनी कुछ उधार नही लेते, कफ़न भी लेते है तो अपनी ज़िन्दगी देकर।
21. जी ढूंढता है फिर वही फुर्सत की रात दिन, बैठे रहें तसव्वुर-इ-जानन किये हुए।
22. दर्द जब दिल में हो तो दवा कीजिए, दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजिए।
Motivational Mirza Ghalib Shayari in Hindi
23. दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ। मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ।
24. है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ, वर्ना क्या बात करनी नहीं आती।
25. दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई, दोनों को इक अदा में रज़ामंद कर गई।
26. हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’ मर गया पर याद आता है, वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता।
27. दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है। आख़िर इस दर्द की दवा क्या है।
28. न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता, डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता।
29. नज़र लगे न कहीं उसके दस्त-ओ-बाज़ू को, ये लोग क्यूँ मेरे ज़ख़्मे जिगर को देखते हैं।
30. ना जाने किस रैन बसेरो की तलाश है इस चाँद को रात भर बिना कम्बल भटकता रहता है इन सर्द रातो मे।
31. पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो चार, ये शीशा-ओ-क़दह-ओ-कूज़ा-ओ-सुबू क्या है।
32. फ़िक्र-ए-दुनिया में सर खपाता हूँ, मैं कहाँ और ये वबाल कहाँ।
33. फिर देखिए अंदाज़-ए-गुल-अफ़्शानी-ए-गुफ़्तार, रख दे कोई पैमाना-ए-सहबा मिरे आगे।
34. बेचैन इस क़दर था कि सोया न रात भर, पलकों से लिख रहा था तेरा नाम चाँद पर।
Famous Mirza Ghalib Shayari in Hindi
35. बेवजह नहीं रोता इश्क़ में कोई ग़ालिब जिसे खुद से बढ़कर चाहो वो रूलाता ज़रूर है
36. बेसबब मुस्कुरा रहा है चाँद, कोई साजिश छुपा रहा है चाँद।
37. मरते हैं आरज़ू में मरने की, मौत आती है पर नहीं आती।
38. मुहब्बत में उनकी अना का पास रखते हैं, हम जानकर अक्सर उन्हें नाराज़ रखते हैं।
39. मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का, उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले।
40. हाथों की लकीरों पे मत जा ऐ गालिब, नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते।
41. ये फ़ित्ना आदमी की ख़ाना-वीरानी को क्या कम है, हुए तुम दोस्त जिस के दुश्मन उस का आसमाँ क्यूँ हो।
42. रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल, जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।
43. रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर हो भी, तो किस उम्मीद पे कहिये के आरज़ू क्या है।
44. वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत है, कभी हम उनको, कभी अपने घर को देखते है।
Two line Mirza Ghalib Shayari in Hindi
45. हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।
46. हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले। बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।।
47. हम जो सबका दिल रखते है, सुनो, हम भी एक दिल रखते है।
48. हम तो फना हो गए उसकी आंखे देखकर गालिब, न जाने वो आइना कैसे देखते होंगे।
49. हम न बदलेंगे वक़्त की रफ़्तार के साथ, जब भी मिलेंगे अंदाज पुराना होगा।
50. हम भी दुश्मन तो नहीं है अपने ग़ैर को तुझसे मोहब्बत ही सही।
51. हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी कुछ हमारी खबर नहीं आती।
52. हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन दिल के खुश रखने को ग़ालिब यह ख्याल अच्छा है।
आशा करते हैं की आपको उपरोक्त मिर्ज़ा ग़ालिब के शायरी ( Mirza Ghalib Shayari In Hindi) पसंद आए होंगे। निचे कमेंट बॉक्स में अपना पसंदीदा कोट्स को mention करना ना भूले।
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